सुषुम्ना क्रिया योग पारंपरिक क्रिया योग का एक आसान रूप है, जो ध्यान की बहुत ही असरकारक और प्राचीन तकनीक है.
क्रिया योग के सबसे महान आध्यात्मिक गुरु परम गुरु श्री श्री श्री महावतार बाबाजी के अवतार लेने से पहले यह क्रिया बहुत सावधानी से छिपाकर एकदम गुप्त रखी जाती थी और केवल गुरु से शिष्य को ही स्थानांतरित होती थी. यह प्रथा हिमालय में रहने वाले कुछ चुनिंदा योगियों और उनकी गुरु-शिष्य परंपरा (परिवार) तक ही सीमित थी. इसके लिए अत्यधिक उच्च कोटि की सहनशीलता और एक ही आसन में घंटों की साधना की आवश्यकता होती थी.
महावतार बाबाजी ने क्रिया योग की शुरुआत परम गुरू श्री श्री श्री भोग सिद्धर जी की देखरेख में की. उन्होंने क्रिया योग को पीड़ित मानवता और सम्पूर्ण मानव जाति के द्वार तक पहुँचाने का बीड़ा उठाया. उन्होंने अपने अनेक भक्तों और चाहने वालों को क्रिया योग की साधना करवाई और वे क्रिया योग परंपरा के आदर्श माने जाते हैं. महावतार बाबाजी के परम गुरू श्री श्री श्री भोग सिद्धर (आध्यात्मिक गुरु) जी की आज्ञा से बाबाजी ने समय की मांग के अनुसार क्रिया योग को और अधिक सरल बनाया और ऐसे आम गृहस्थों और शहरी लोगों के लिए, जो अपने परिवारों तथा सांसारिक कर्तव्यों को छोड़कर हिमालय जैसी सुनसान जगहों पर जाने में असमर्थ थे, इसे सामान्य रूप से सुलभ बना दिया, ताकि वे लोग भी इस सदियों पुरानी क्रिया योग तकनीक से लाभ प्राप्त कर सकें. क्रिया योग के सबसे पुराने साधकों में श्री आदि शंकराचार्य, कबीर दास, शिरडी के साईं बाबा और लहरी महाशय जैसे महान विद्वान शामिल हैं. आगे पढ़िए
योग मुद्रा
सीधी और आरामदेह अवस्था में बैठ जाएँ. अपने हाथों को योग मुद्रा में रखें.
गहरी और लम्बी सांस लें
14 बार गहरी और लम्बी सांस लें (अच्छा महसूस करते हुए).
ध्यान केन्द्रित करें
एक विचारहीन अवस्था को पाने के लिए धीरे-धीरे भौंहों के बीच (तीसरी आंख) ध्यान केंद्रित करें.