अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
रात / दिन के दौरान किसी भी समय ध्यान कर सकते हैं.
हालांकि सबसे अच्छा समय सुबह 3 से 6 बजे तक और शाम 5 बजे से 7 बजे तक होता है. इस समय के दौरान परम गुरु विशाल ब्रह्मांडीय ऊर्जा भेज रहे होते हैं.
मानव शरीर में 72000 नाड़ियाँ होती हैं. नाड़ियाँ सूक्ष्म नलिकायें हैं. इन 72000 नाड़ियों में से तीन बहुत महत्वपूर्ण हैं – जिन्हें इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना के नाम से जाना जाता है. ये तीनों नाड़ियाँ रूट चक्र (मूलाधार) से निकलती हैं, इड़ा और पिंगला तीसरी आँख चक्र (अजन) पर समाप्त होती हैं और सुषुम्ना क्राउन चक्र (सहस्रार) को जोड़ती है.
अगर कोई झुकी हुई स्थिति में बैठता है या सिर को आगे या पीछे मोड़ता है, तो ये नलिकाएं रुक जाती हैं और इससे ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रवाह प्रभावित होता है.
ऐसा करके आप उस विशेष सत्र के माध्यम से उत्पन्न ऊर्जा का 80% खो देंगे.
यही कारण है कि अपनी हथेलियों को चेहरे और आंखों पर कुछ सेकंड रखने और बहुत धीरे धीरे ध्यान से बाहर आने की सलाह दी जाती है.
नहीं, इसे एक सतत खंड में ही किया जाना चाहिए.
सबसे अच्छे परिणामों के लिए सुबह 3 बजे से 6 बजे और शाम 5 बजे से 7 बजे तक का समय उचित माना जाता है. लेकिन अगर ये समय उपयुक्त नहीं हैं, तो आप अपनी पसंद के अनुसार कोई भी समय चुन सकते हैं.
मानसिक रूप से किसी भी चक्र पर ध्यान केंद्रित किए जाने की जरूरत नहीं है. योग मुद्रा स्वचालित रूप से इसका ख्याल रखती है.
यह तकनीक इतनी शक्तिशाली है, क्योंकि यह चार चरणों का एक संयोजन है.
पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम योग मुद्रा है. सुषुम्ना क्रिया योग का आधार ही योग मुद्रा है. दूसरा चरण ओंकार है. तीसरा चरण गहरी लंबी साँस लेना है और अंतिम चरण भौहों के बीच अपना ध्यान केंद्रित करना है.
इन चरणों को साफ़ तौर पर देखा जाए, तो मुद्रा ध्यान पहला चरण है, और आंखें बंद रखते हुए विभिन्न मुद्रायें लगाने के द्वारा होता है और इसे मुद्रा ध्यान कहा जाता है. बंद आँखों के साथ 15 से 20 मिनट के लिए किया गया ॐ का जप ओंकार ध्यान कहलाता है. इसी तरह आँखें बंद करने और किसी भी सांस लेने की तकनीक का उपयोग करने को श्वास ध्यान कहा जाता है और भौंहों के बीच ध्यान लगाने को तीसरी आंख ध्यान कहा जाता है.
इस प्रकार, यह सुषुम्ना क्रिया योग तकनीक चार विभिन्न तकनीकों का एक सम्मिश्रण है, और इसीलिए हम सब जीवन में चार गुना तेजी से अपार ऊर्जा और प्रगति प्राप्त करते हैं.
आपने अतीत में कुछ अनुभव किया और अब वह अनुभव आपको दोबारा नहीं हो रहा है, तो यह एक सकारात्मक संकेत है कि आप उच्च स्वत्व की ओर बढ़ रहे हैं.
यदि आप ध्यान के बीच थोड़ी देर के लिए सो भी जाते हैं, तो इसमें कोई बुराई नहीं है. (आम तौर पर थकान से, भारी भोजन खाने से, या कुछ दिनों के लिए ठीक से सोए नहीं होने से ऐसा होता है).