श्री श्री श्री भोगनाथ सिद्धर जी का मानवता को सुषुम्ना क्रिया योग रुपी उपहार
भगवान, परम गुरु श्री श्री श्री भोगनाथ सिद्धर, श्री श्री श्री महावतार बाबाजी और पूज्य श्री आत्मानंदमयी माताजी पूरी दुनिया को, शाश्वत शांति और खुशी की कामना करते हुए, सुषुम्ना क्रिया योग का अनोखा उपहार देने की घोषणा करते हैं. गुरुओं से पता चला है कि, सुषुम्ना क्रिया योग के नियमित अभ्यास से किसी भी जीवन शैली वाले लोग ज्ञान (मोक्ष) और शाश्वत आनंद प्राप्त कर सकते हैं.
सुषुम्ना क्रिया योग का अभ्यास करने के लिए आवश्यक 4 आसान स्टेप
आगे बढ़ने से पहले कृपया नीचे दी गई तालिका में प्रत्येक आयु वर्ग के अनुसार ध्यान के लिए उपयुक्त "समय की लंबाई" का चयन करें.
आयु | समय |
---|---|
10 साल | 7 मिनट के नीचे |
10 - 15 साल | 14 मिनट |
15 - 21 साल | 21 मिनट |
21 साल के ऊपर | 49 मिनट के |
योग मुद्रा
सीधी और आरामदेह अवस्था में बैठ जाएँ. अपने हाथों को योग मुद्रा में रखें.
गहरी और लम्बी सांस लें
14 बार गहरी और लम्बी सांस लें (अच्छा महसूस करते हुए).
ध्यान केन्द्रित करें
एक विचारहीन अवस्था को पाने के लिए धीरे-धीरे भौंहों के बीच (तीसरी आंख) ध्यान केंद्रित करें.
1. योग मुद्रा या श्री चक्र मुद्रा
- अगले 7/14/21/49 मिनट के लिए एक बहुत ही आरामदायक स्थिति में बैठ जाएँ (एक कुर्सी, सोफा, पलंग या फर्श पर). आँखें बंद रहें और कमर / रीढ़ की हड्डी और गर्दन सीधी रेखा में / लम्बवत रहे. शरीर को ढीला छोड़ दें.
- चित्र में दिखाए अनुसार योग मुद्रा लगायें और योग मुद्रा को अपनी गोद में या जांघों पर, जहाँ भी सुविधाजनक हो, रख लें.
2. ॐ जाप (मौलिक ध्वनि)
- धीरे-धीरे और लयबद्ध रूप में ऑडियो क्लिप में बताये अनुसार ॐ का जाप शुरू करें.
- जाप करते वक़्त "ओ" अंश को कम और "अम" अंश को अधिक देर बोलना चाहिए.
- सुनिश्चित करें कि ॐ ध्वनि के कंपन नाभि स्थिति (मणिपूरक चक्र) से शुरू हों और ऊपर सिर क्षेत्र (अजन और क्राउन चक्र) की ओर यात्रा करें.
- उसी समय, अपने खुद के जाप को सुनें और कंपन का आनंद लें.
- 21 बार के बाद ॐ जाप बंद कर दें.
3. गहरी और लंबी साँस
- बहुत धीरे-धीरे और पूरी तरह से सांस अन्दर खींचें और धीरे-धीरे और पूरी तरह से बाहर छोड़ें.
- साँस लेते समय ऐसा महसूस करें कि सकारात्मक / अच्छी चीज़ें जैसे स्वास्थ्य, शांति, सुख, सफलता, प्यार आदि शरीर में प्रवेश कर रही हैं और बाहर साँस छोड़ते समय नकारात्मक चीज़ें, जैसे तनाव, रोग, क्रोध, गड़बड़ी, अवसाद आदि बाहर जा रही हैं.
- 14 बार के बाद गहरी लंबी साँस लेना बंद कर दें.
4. तीसरी आंख क्षेत्र पर ध्यान केन्द्रित करना
- अब धीरे-धीरे तीसरी आंख क्षेत्र,(अजन चक्र) अर्थात दोनों भौहों के मध्य के स्थान, पर अपना ध्यान केंद्रित करें.
- ऐसा करते समय, माथे पर किसी भी प्रकार का दबाव न डालें, क्योंकि यह सिरदर्द का कारण बन सकता है.
- अत्यंत प्रसन्न भाव से माथे के क्षेत्र का निरीक्षण करें / उस पर ध्यान दें.
- मानसिक / मौखिक रूप से किसी भी मंत्र का जाप न करें या ध्यान सत्र के इन 7/14/21/49 मिनट के दौरान देवताओं / गुरुओं के किसी भी रूप की कल्पना न करें .
- सत्र के दौरान पूर्ण मौन बनाए रखा जाना चाहिए.
क्या करें और क्या नहीं
- पहले 49 दिन बहुत महत्वपूर्ण और कठिन हैं क्योंकि ये गुरुओं / परास्नातक के साथ प्रणालीबद्ध संपर्क स्थापित करेंगे. इस ध्यान का अभ्यास जीवन भर किया जाना चाहिए.
- निर्धारित ध्यान सत्र के अंत तक आँखें न खोलें और योग मुद्रा को टूटने न दें.
- सत्र शुरू करने से पहले 7/14/21/49 मिनट के लिए एक अलार्म लगा लें.
- 7/14/21/49 मिनट के सत्र में 'ॐ' का जप, लम्बी, गहरी सांस व तीसरी आँख क्षेत्र में ध्यान केंद्रित करना शामिल हैं.
- 'ॐ' का जप, लम्बी, गहरी सांस व तीसरी आँख क्षेत्र में ध्यान केंद्रित करने से आप अपने विचारों में कटौती और एक विचारहीन अवस्था को प्राप्त करने में सफल हो पाएंगे.
- 7/14/21/49 मिनट के सत्र के बाद योग मुद्रा खोल दें, दोनों हथेलियों से आंखें / चेहरे को स्पर्श करें, कुछ पल (5 सेकंड) के लिए ऐसे ही रहकर अधखुली आँखों से हथेलियों को देखें और फिर धीरे-धीरे एक कोमल और सुखद मुस्कान के साथ ध्यान से पूरी तरह बाहर आ जाएँ.