श्रुत कीर्ति का जन्म एक धार्मिक परिवार में हुआ था, कम उम्र से ही उनमें आध्यात्मिकता की जड़ें गहराई से समाहित हो
गई थीं। कुछ अप्रत्याशित अनुभवों के कारण, भले ही वह धार्मिक वातावरण में पली-बढ़ी थी, लेकिन उनके भीतर
लगातार भय था।
क्या गुरु हमें दैवीय दुनिया दिखा सकते हैं? क्या वे भक्तों की असुरक्षा को गले लगाएंगे और हमारे भय को खत्म करके,
हमें ब्रह्मांडीय दुनिया दिखाएंगे? उपरोक्त प्रश्नों के बारे में हमारी खोज का उत्तर देने के लिए श्रुत कीर्तिजी के अनुभव एक
बेहतरीन उदाहरण हैं।
एक प्रसिद्ध नृत्यांगना होने के नाते, श्रुत कीर्तिजी को लगा कि वह नृत्य कला के माध्यम से भगवान तक पहुँच सकती हैं।
उन्होंने नृत्य को अपनाया क्योंकि भक्ति के द्वारा वे एक गुरु की खोज में थी। अपनी यात्रा के दौरान, वह एक पवित्र व्यक्ति
के पास आई, जिसे देखकर उसने सोचा कि वे उसके गुरु हो सकते हैं, एक दिन वो संत उनके सपने में दिखाई
दिये और कहे,”मैं तुम्हारा गुरु नहीं हूं”। इसलिए एक बार फिर, उन्होंने अपने गुरु की खोज शुरू कर दी। एक दिन उनको
“एक योगी की आत्म कथा”नाम कि पुस्तक दि गयी, जिसे उन्हें अपने भाई कौशिक को देना था। इस पुस्तक ने उनमें
एक भावना पैदा की और आत्म-खोज कि यात्रा पर चले।
उन्होंने अपने ध्यान गुरुओं के रूप में श्री महावतार बाबाजी और श्री लाहिरी महाशय को अपनाया।
लेकिन अनुचित ध्यान प्रक्रिया के दौरान इसका उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। उसके बाद, उन्हें एक भौतिक
गुरु के खोज की सलाह दी गई।
गुरु की खोज में, उनकी मुलाकात सुषुम्ना क्रिया योगिनी विजया जी से हुई। उनके माध्यम से, उन्हें श्री श्री श्री
आत्मानंदमयी माताजी द्वारा सुषुम्ना क्रिया योग में दीक्षा लेने का अवसर मिला। ठीक उसी तरह जिस तरह उनके भाई
कौशिक ने उन्हें बताया, उन्हें आज्ञा चक्र में कंपन महसूस किया। वह अगले तीन दिनों तक माताजी की उपस्थिति में
ध्यान करने के लिए भाग्यशाली थीं। वे माताजी से इतने भावुक और आध्यात्मिक रूप से जुड़ गए थे कि वे उनसे विदा
नहीं लेना चाहती थी।
पूर्निमा ध्यान के सत संग के दौरान,उनको सुंदर दिव्य अनुभव और दैव दृष्टि के दर्शन हुए। गुरुओं के चित्रों के माध्यम से
उत्सर्जित रोशनी की एक सुंदर दृष्टि उन्होंने देखा। वह अपने सहस्रार चक्र में कंपन महसूस करने लगी ।
बचपन से ही कुछ आशंकाओं और भय के कारण श्रृत कीर्तिजी हमेशा अकेले ध्यान करने में मनाह करती। इसके कारण
वह एक समूह में ध्यान करना पसंद करती थी।
एक बार एक आदिवासी ज्योतिषी ने उन्हें बताया, उन्होंने कुछ बुराई पर कदम रखा था और वह अच्छी जगह पर नहीं
था। आदिवासी ज्योतिषी के शब्दों ने उन्में भय पैदा किया।
उस शाम जब वह ध्यान में थी, उन्होंने एक दिव्य आवाज सुनी, “आपको एहसास होना चाहिए कि क्या अच्छा है और
क्या बुरा”। अभ्यास के ४९ दिनों के दौरान, उनका गुस्सा गायब हो गया और वे छोटी-छोटी बातों पर जोर देना बंद कर
दिया।उनका भय भी कम हो गया।
श्रृत कीर्ति जी की नींद में भयावह दृश्य थे जहां उन्होंने भयानक प्राणियों को देखा। फिर एक दिन उन्हें एक अनोखा
अनुभव हुआ, जहाँ उन्होंने देखा कि माताजी उन्के भीतर से उठीं और उन भयानक प्राणियों को अपनी आँखों से
नियंत्रित कर दीं। माताजी कांची कामाक्षी अम्माँ के रूप में प्रकट हुईं। यह एक अद्भुत अनुभव था। माताजी के साथ वारंगल कि यात्रा , केवल एक भौतिक यात्रा ही नहीं थी, बल्कि आध्यात्मिक यात्रा भी थी। उन्होंने माताजी से कहा कि,वह कुछ व्यक्तिगत कारणों से ध्यान नहीं कर पा रही थी और यात्रा के दौरान माताजी ने उन्हें आध्यात्मिक रूप से
सुषुप्तिवस्था (एक आध्यात्मिक नींद की स्थिति) में प्रेरित किया। जब वह नींद से जगी ,तो उन्होंने माताजी को अपने
शरीर से उठते हुए देखा। तब उन्होंने देखा कि कैसे माताजी ने अपने सूक्ष्म शरीर की आध्यात्मिक रूप से उनकी मरम्मत
की और उसे बहुत ऊर्जा भी दी। उनके नींद में भी उन्हें कयी अनुभव हुए जैसे कि – माताजी के लिए उनकी वे
आध्यात्मिक सेवाओं किये, माताजी उनको देवी ललिता त्रिपुर सुंदरी जैसे दर्शन दिये और उन्होंने श्री चक्र पर एक हीरा से
जड़ा देखा जो वैज़ाग में अक्कय्या पालम ध्यान केंद्र में निशिप्त था।
श्रृता कीर्ति की माँ ने भी सुषम्ना क्रिया में दीक्षा ली। उनके पिता और भाई ने भी उनके आध्यात्मिक उत्साह को
प्रोत्साहित किया और उनका समर्थन किया, जिससे उनके लिए आगे बढ़ना आसान हो गया। उनके परिवार के सदस्य उन्हें
एक डरपोक लड़की के रूप में जानते थे, जिसे सड़क पार करने का भी डर था, जिस के कारण वह कांपती थी। एसा
उनका व्यक्तित्व था। लेकिन अब माताजी के आशीर्वाद से, जिन्होंने श्रृति के सूक्ष्म शरीर से उन्हें गाडी चलाना
सिखाया, वह अब एक, विश्वासपात्र चालक बन गई हैं।
श्रुत कीर्ति के अनुभव, यह तय करने में मदद करते हैं कि, सुषम्ना क्रिया योग अपने आप के लिए सकारात्मक हैं कि नहीं? जो लोग विश्वास नहीं कर पा रहे हैं, या फिर जिनके मन में शक है,उनके लिए श्रृतक कीर्ति के जीवन के ये अनुभव काफी उपयोगी होंगे। इसके बारे में जानने की उत्सुकता और उस
सत्य की तलाश करने वालों के लिए, श्रुति कीर्ति एक महान मार्गदर्शक हैं।
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