शरीर: स्थूल शरीर को परिष्कृत करने के लिए सूर्य को प्रणाम।
सूक्ष्म शरीर कि शुद्धि के लिए बिल्व पत्र, तुलसी, नीम, हल्दी।
मन: ओंकार ,गहरी लंबी श्वास।
जब शरीर, मन और आत्मा एकमात्र नहीं होता तो हम आंतरिक संघर्ष में उलझे रहते हैं।चार पाइंट्स जिससे हमारा जीवन खुशियाली और आनंद होगा वो यह हैं।
1. सबसे पहले – हमें असुरक्षा की भावना होती है। यह अज्ञात या अनिश्चित कॉम्प्लेक्स के डर से ट्रिगर होता है।
2. दूसरी बात – हम अपनी स्थिति कि तुलना दूसरों से करते हैं। यह तुलना हमें इन्फीरियारटी Vs.सुपीरयारटी यह तनाव का कारण बनता है और हीनता की ओर ले जाता है।
3. तीसरा – हमारी उम्मीदों के भौतिककारण की एक प्रत्याशा – जिसे प्राप्ति परिसर के रूप में भी जाना जाता है।
4. चौथा और अंतिम रूप से – वास्तविकता के प्रकट होने का डर – जिसे अंततोगत्वा परिसर के रूप में भी जाना जाता है।
ओंकार
ओंकार महामंत्र है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर ओंकार कि छवि है। जब इस प्रणव नाद को नाभि से उच्चारण किया जाता है, तब बीज रूप में नाभि में स्थित जन्मों कि वासनाएं, स्मृतियां, काम,क्रोध, लोभ,मद, मात्सर्य साधकों पर रुकावट न डालकर ,हमारे आध्यात्मिक यात्रा में वो बीज , विष वृक्ष नहीं बन जाए, इसलिए ओंकार का उच्चारण नाभि स्थान से करनी चाहिए।इस तरह ओंकार करने से,ध्यान साधन भी आसानी से होता है।सभी मंत्रों के अदिपति ओंकार है।
श्वास मानव शरीर में स्थूल, सूक्ष्म, कारण शरीरों को एक सूत्र में बाँधता है।श्वास नहीं तो यह जग नहीं।दीर्घ श्वास से कयी श्वास के संबंधित रोग नष्ट हो जाते हैं।श्वास अंदर लेते समय आरोग्य, आनंद,धैर्य, विजय,और कयी सत् गुणों को अंदर लेने का भाव करने से गुरु अनुग्रह प्रसादित करते हैं। श्वास बाहर छोडते समय उन लक्षण और गुणों को छोडने का भाव करना चाहिए जिससे हमें कष्ट होता है।
पान का पत्ता
पान के पत्ते का आकार हृदय जैसा होता है।यह कहा जाता है कि प्राचीन काल में भगवान शिव और पार्वती माता ने हिमालयों में पान के पत्ते का बीज बोएं।इसलिए इस पत्ते को तामबूल करके पूजा में उपयोग किया जाता हैं।समुद्र मंथन में यह पत्ता शहद के पहले आया।इसके कयी औषधीय गुण भी हैं।यह एसिडिटी को कम करता है,पांचन शक्ति में सुधार आता है,मुस्तैदी में सुधार और शरीर में वाटर रिटेंशन भी कम होता है।
सूर्य नमस्कार
सूरज के सामने खडे होकर अपने हाथों कि उंगलियों को नमस्कार मुद्रा में अपने हृदय स्थान पर ऐसे रखें ,जैसे उंगलियों कि अंगूठी, हृदय के मध्य भाग को स्पर्श कर सके। उसके बाद दोनों हाथ निचे लाए और नमस्कार मुद्रा में जोड़कर सिर के ऊपर, बाहों को सीधा करके रखें ,फिर से आहिस्ता नमस्कार मुद्रा अपने हृदय के मध्य स्थान पर रखकर आधे मिनट तक उस स्थिति में रहें । यह सूर्य नमस्कार नौ बार करें।
बेल पत्र
बेल पत्र ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर कि छबी माना जाता है ,इसलिए वो परम पवित्र माना जाता है।परम शिव जी का प्रतिरूप बेल पत्र होने के साथ, उसमें औषधिय गुणों के साथ उर्जावान शरीर में परिवर्तन लाने का गुण भी है।आज्ञा चक्र जो भगवत ज्ञान प्राप्त करने में सूचित करता है। यह पत्ता श्वास संबंधित रोगों को और दोशों का निवारण करता है।
लौंग
आध्यात्मिक ध्यान साधन में पहले मुख्यतर हमारे दिमाग में बदलाव आता है।दिमाग और रीड कि हड्डी के बीच का संबंध हम सब जानते हैं।दिमाग को उत्तेजित शक्ति प्रकंपन प्रसारित करने का दिव्य गुण लौंग में है।छोटा दिखाई देने पर भी उसमें अनेक औषधीय गुणों का संगम है।