हेमलता जी, एक निष्ठावान सुषुम्ना क्रिया योगी, श्रीमती विजयलक्ष्मी जी की बेटी हैं। यह देखते हुए बहुत अच्छा लगता है कि उनके परिवार में आध्यात्मिकता में विलीन होते, तरह तरह के दौर से गुज़रते हुए, उन्होंने अपने जीवन को शांति और खुशी से कैसे आगे बढ़ाया है।
२००७ में जब हेमलता जी अमेरिका में रहती थीं, तब उन्होंने भगवदगीता और उपनिषदों का ज्ञान प्राप्त किया, उन्होंने पढा कि तीसरी आंख पर दृष्टि केंद्रित ‘ब्रूम्ध्य’ (भौंहों के बीच का बिंदु) ध्यान बहुत शक्तिशाली है। और इन्होंने इसके बारे में ‘एक योगि कि आत्मा कथा’ पुस्तक में भी उसी के बारे में पढ़ा है, श्रीमती हेमलता जी को एक सच्चे गुरु से इसे सीखने की एक तीव्र इच्छा थी। अपनी आध्यात्मिक उत्सुकता के जवाब के रूप में, उन्होंने २०१० में, श्री पूज्यश्री आत्मानंदमयी माताजी के द्वारा इस क्रिया योग में दीक्षा ली। उनकी इच्छा के अनुसार उन्हें स्वयं माताजी से गुरुओं की तस्वीर प्राप्त हुई। यह उनके जीवन का एक बड़ा मोड़ था और इस महान ऊर्जा संचरण के कारण, जैसे ही एक बार, उन्होंने अपने घर में चित्र रखा, वे अपने घर में गुरुओं को महसूस कर सकती थी, और उनके कदमों को भी सुन पा रही थी। श्री महावतार बाबाजी का दर्शन भी उनको प्राप्त हुआ। गुरुओं ने उनको अपनी माता श्रीमती विजयलक्ष्मी जी की कुंडलिनी सक्रियण प्रक्रिया कि घटना बहुत पहले उन्हें (आत्म-साक्षात्कार अवस्था) देखने का अनुग्रह, उनको दिया। श्रीमती हेमलता जी १० वर्षों से माइग्रेन सिरदर्द से पीड़ित थीं। ध्यान में गुरुओं द्वारा उसे दिया गया एक सेब को खाने से, एक चमत्कार चिकित्सा प्रक्रिया शुरू हो गया था, जिसे उन्होंने ध्यान से परखा। जब उन्होंने माताजी को इसके बारे में बताया, तो उन्हें माताजी से जवाब मिला कि उनकी चिकित्सा प्रक्रिया लगभग एक महीने तक जारी रहेगी … और कुछ ही समय में ऐसा भयानक और दर्दनाक सिरदर्द पूरी तरह से गायब हो गया था। अब श्रीमती हेमलता जी सहजता से अपने काम और निजी जीवन को बहुत अच्छी तरह से संतुलित करती हैं। २०११ से, उन्होंने अमेरिका में ध्यान संचालित करने का अवसर मिला, जहां उन्होंने देखा कि जो भी इस ध्यान का अभ्यास करता था, उनके स्वास्थ्य से संबंधित सकारात्मक परिवर्तन हुए, उनका जीवन उत्साह और उमंग से भर जाना भी उन्होंने देखा। वे कहती हैं, “सिर्फ यही नहीं, माताजी की कृपा से, मैं अपने स्वयं से एक सागत्य का अनुभव कर सकती थी, मैं अपने सूक्ष्म शरीर को भौतिक शरीर से अलग देख सकती थी, मैंने अपनी ऊर्जा के स्तर में वृद्धि देखी” करके श्रीमती हेमलता जी कहती हैं। वह बताती हैं, कि उनकी बड़ी बेटी रेमाश्रावनी २०१२ में गुरुपूर्णिमा में कैलास देवतों के दर्शन कर पाई थीं। बर्फ से ढकी गुफाओं में, विनायक चतुर्थी के शुभ दिन पर, उन्होंने भगवान विनायक जी और माताजी को एक साथ ध्यान प्रक्रिया करते देखा था । एक मंदिर में, एक चांदी की थाली थी जिसमें ३ ऊर्जा गेंदें थीं, जिन्से हमारे तीन गुरु, श्री भोगनाथ सिद्धार जी, श्री बाबाजी, श्री आत्मानंदमयी माताजी को उद्भव होते देखा। तब उसे सरवेश्वर द्वारा उसके अनाहत से एक आवाज़ सुनाई दी कि, “वे तीन गुरु इस धरती पर सुषुम्ना क्रिया योग ध्यान सिखाएँगे”। जब उसकी लड़की को लगा कि उसके दोस्त नहीं हैं, तो देवताओं खुद आकाश से उतरे और उनके साथ खेल मैदान में खेले – जिसे उसने ध्यान में अनुभव किया था। श्रीमती हेमलता जी की छोटी बेटी हीरा श्रावणी – ने भगवदगीता सुनी, उन्होंने सदगुरुओं का दर्शन किया और उन्होंने सुषुम्ना क्रिया योग के प्रसार के लिए इस धरती पर माताजी के आगमन की कल्पना की, यह सब उनके द्वारा ध्यान में एक लघु वीडियो के रूप में दिखाई दिया। एक दिन उसके ध्यान में, उसने देखा कि आकाश के सभी तारे योग मुद्रा के आकार में बने हैं। इन सितारों में, वह लघु रूपों में देवताओं का एक पवित्र दर्शन हुआ था।
जब पूरा परिवार योगविद्या में निपुण होते है और आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करने की राह पर चल रहे हैं, तो उनके जीवन का मूल्य और सच्चे वास्तविक सुंदर अनुभव होता है और यह श्रीमती विजयलक्ष्मी जी के परिवार से स्पष्ट हो जाता है।
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