वम्शी कृष्णा कुमारी एक युवा आयुर्वेदिक मेडिकल स्नातक है, जिसने सुषुम्ना क्रिया योग साधना नवंबर २०१३ में शुरू
की थी, और वो एक नियमित साधिका और पूज्य श्री आत्मानंदमयी माताजी के उत्सुक शिष्य है।
जब तक वह इस साधना में आई, उसके बहुत पहले समय से वो गंभीर सोरायसिस से पीड़ित थी। उसकी एक
साधारण पट्टिका सोरायसिस से वह दर्दनाक प्रकोपन, अधिक गंभीर और जटिल प्रकार से आगे बढ़ता गया। उसके पूरे
शरीर में बड़ी चिड़चिड़ाहट, मोटी पपड़ी, खुजलीदार लाल धब्बे थे, जो अक्सर दर्दनाक मवाद भरे फुंसी में बदल जाते थे –
जिसे पस्चलर सोरायसिस कहा जाता है।
बाद में जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती गई, यह उसके नाखूनों तक फैलता गया, जिससे नाखून नर्म ,दर्दनाक , एक हल्के
मलिनकिरण के साथ एक और भिन्नता के साथ – द नेल सोरायसिस –में बदल गई । सोरायसिस उसके जोड़ों
म़े भी फैल गया , जिससे पैर और उंगलियों के जोड़ों में गंभीर दर्द, सूजन और कड़ा हो गया – एक और जटिल संस्करण
सोरायटिक आर्थराइटिस।
एक आयुर्वेदिक स्नातक होने के नाते उसने आयुर्वेदिक चिकित्सा में सभी संभव उपायों की कोशिश की, लेकिन वो सब व्यर्थ
रहा। तब उसने एलोपैथी चिकित्सा उपचार की कोशिश भी की, जिसका परिणाम कुछ नहीं निकला। उसने रेकी आदि
जैसे वैकल्पिक हीलिंग उपचारों में भी अपनी किस्मत आजमाई, जो उसके लिए प्रभावोत्पादक नहीं थे। हालांकि सभी
चिकित्सा तौर-तरीकों को कोशिश की, लेकिन उसे कुछ मामूली राहत मिला, लेकिन उसे कोई इलाज नहीं मिला।
दूसरी ओर दवा के बंद होने से गंभीर रूप से परेशान हो गयी और बदतर स्थिति में पहुंच गयी। दवाओं के बावजूद और
सभी जीवन शैली के सख्त पालन, और खाद्य प्रतिबंधों के अलावा उसका कोई इलाज नहीं था। अपनी
किशोरावस्था से बढ़ती दर्दनाक, अपंगता से पीड़ित,श्री वम्सी कृष्णा कुमारी सोरायसिस का कोई इलाज नहीं पाकर
अवसाद में चली गयी।
जब वो,उस अवसाद स्थिति में थी, तब उसने गुरुमाता पूज्यश्री आत्मानंदमयी माताजी से दीक्षा ली। सुषुम्ना क्रिया योग
साधना के थोड़े समय में ही उसने आश्चर्य और अगाध अविश्वास व्यतीत किया कि, उसका सोरियाटिक गठिया और नेल
आर्थराइटिस से पूरी तरह से वह ठीक हो गई और वो भी बिना किसी दवा के। उसके जीर्ण विनाशकारी प्रगतिशील
इलाज रहित सोरायसिस से श्री वमशी के चमत्कारिक इलाज के लिए आभार के साथ हमारे दिव्य बाबाजी
सुषुम्ना क्रियायोग फाउंडेशन के सबसे आगे स्वयंसेवक होने का चयन करें।
उसने अब खुशी से व्यक्त किया, कि वह अपनी उम्र के किसी भी युवा की तरह स्वस्थ जीवन के निकट हैप्पी का नेतृत्व
करने में सक्षम है, हालांकि कभी-कभी उनके पास हल्के सोरायटिक घाव होते हैं जो अब न्यूनतम उपचार के लिए अच्छी
तरह से प्रतिक्रिया करता है।
सोरायसिस, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली विकार, एक पुरानी त्वचा की सूजन संबंधी विकार है, जो लंबे समय तक
चलती है और पूरे जीवन के समय के लिए रुक-रुक कर और अधिक समय तक हो सकती है। छूटने की अवधि या
अतिरंजना की गंभीरता किसी की प्रतिरक्षा और तनाव, ठंड के मौसम, एलर्जी, कुछ प्रकार के खाद्य पदार्थों या दवाओं
आदि जैसे जोखिमों पर निर्भर करती है।
आम तौर पर १०साल से अधिक प्रगति केलिए सोरायसिस हो तो वो सोरायसिस गठिया और नाखून सोरायसिस कि
तरफ बढती जाती है।। हालांकि भारत में सोरायसिस सामान्य है, लेकिन इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है। यह
दीर्घकालीन दुर्बलता अचिकित्सय योग्य विकार पीड़ितों को अवसाद कि ओर धकेलता है। पस्चलार, कील और
सोरियाटिक आर्थराइटिस जैसे सोरायसिस के सभी जटिल संस्करणों से पीड़ित, श्री वम्सी भी अवसाद में चली गयी।
सुषुम्ना क्रियायोग साधना में समय पर पहल ने उसे सोरायसिस के जटिल होने के खतरे से बचाया। गुरूमाता
आत्मानंदमयी माताजी के दिव्य आशीर्वाद, सुषुम्ना क्रियायोग साधना की शक्तिशाली ऊर्जाएँ उन्हे नियमित रूप से और
विश्वासपूर्वक सोरायसिस के गंभीर जटिल संस्करणों के स्थायी रूप से ठीक करे, उन्हें स्वस्थ , ऊर्जावान ,बुदबुदाती नया
जीवन आशीर्वाद के रूप में दिये।
ओम श्री गुरुभ्यो नमः