माताजी बोले -“श्री श्री महावतार बाबाजी के ४९ शिष्यों के संग मैं सूक्ष्म शरीर में गौरी शंकर पीठ पहुंची।इसलिए मैंने, उस समय हर किसी को टेंट के अंदर आने को मना कर दीया।” आश्चर्य से, हम एक दूसरे के मुख देखकर आगे सुनने लगे…”हिमालय पर्वतों में स्थित परम पवित्र मठ है, गौरी शंकर पीठ। यह मठ परम गुरू श्री श्री महावतार बाबाजी का आश्रम है। हजारों सालों से सहशरीर में होते, कई महायोगियों, सिद्ध पुरुषों, अवधूतों, महर्षियों अथवा साधकों को प्रत्यक्ष और परोक्ष दिशा निर्देश करते हुए; इस अखंड भूमंडल के अंधकार को हटाते आए हैं महावतार बाबाजी। जो मानव,संसार में व्याकुल होकर,पूर्ण अज्ञान और अंधकार में रहने लगे, उनका रक्षण कर्ता अवतार पुरुष, दैवांश संभूति, श्री महावतार बाबाजी हैं। दुख में दिशाहीन हो या कोलाहल जीवन में, मानवों के प्रति प्रीति से, अपनी करुणामय हस्तों से सहायता देने वाले पितृ स्वरूप हैं – श्री श्री महावतार बाबाजी। महावतार बाबाजी सुषुम्ना क्रिया योगियों के परम गुरू हैं। हमारे माताजी के प्रत्यक्ष गुरू भी हैं।