गंगोत्री से हम हरिद्वार पहुंचे |वहां पहुंचते ही रात हो गयी।हममें से कुछ लोगों को प्रातःकाल उठकर वापस जाने केलिए,तैयार होना था।इस कारण हम सभी उसी रात गंगा स्नान करने केलिए निकल पडे।गंगा नदी में उतल -पुतल कर खेले,थोडी देर तैररकर बहने लगे और नदि में गहराई कम होने कि जगह पर थोड़ी देर ध्यान भी करे।हमारे सामने एक शक्ति क्षेत्र मानसा देवि का मंदिर था।उस मंदिर के अभिमुखी होकर ध्यान करने से शरीर में अधिक शक्ति प्रवाह होते मुझे लगा।गंगा स्नान करके अपने कमरे में चले गए।उस रात हमें माताजी का दर्शन प्राप्त नहीं हुआ ।एक तरफ हिमालय यात्रा कि सौभाग्य केलिए खुश थे,तो दूसरी तरफ माताजी के मौन स्थिति केलिए,हममें कोई भी उत्साहित नहीं थे।अगले दिन हमें वापस जाने केलिए तैयार होना था। माताजी के पादों पर पडकर हम क्षमा भीक्षा माँगना चाहते थे। लेकिन माताजी के पास जाने का धैर्य नहीं हो रहा था।अगले दिन वापस जाने का रोज आ गया। उस दिन सुबह मानसा देवि के मंदिर गये। रज्जुमार्ग (रोपवे) से हम मंदिर पहुंचे ।वहां पर ध्यान करके होटेल पहुंचे।तभी हम सभी को माताजी ने उनके पास आने का संदेश भिजवाया ।