हरशील से गंगोत्री हमे सुबह ही निकलना पडा। गंगोत्री जाते वक्त माताजी ने हम सभी को मौन और भाव से रहने को कहा। मौन मतलब, मौन व्रत के समान, ऐसा हमने सोचा। कुछ घंटों के प्रयाण के बाद हममे से कुछ जन, ने माताजी कि कही गयी बात, कि सभी को मौन में रहना है, को नज़रंदाज़ किया। रास्ते में उत्तर काशी के एक शिवालय में माताजी के साथ हम सभी गये। गर्भ आलय में माताजी शिवलिंग के बगल में बैठकर ध्यान में विलीन हो गये। हम सभी ने भी थोड़ी देर ध्यान किया, और मंदिर में अन्य छोटे उपमंदिरों को देख रहे थे। उस मंदिर के अंदर जाते समय या मंदिर के बाहर माताजी किसी से भी बात नहीं कर रहे थे। माताजी संपूर्ण मौन में थी।