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Day 24 – कुंभ मेला के संगम स्नान कि खासियत

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सूर्य नाड़ी को  पिंगला   नाड़ी , चंद्र नाड़ी को  इड़ा   नाड़ी करके योग शास्त्र में कहा गया | शास्त्रों में लिखा है कि सूर्य नाड़ी का प्रतीक यमुना नदी और चंद्र नाड़ी का  प्रतिक गंगा नदी है| हिमालय पर्वतो में जन्म लेकर प्रवाह होने वाले यह नदियाँ प्रयाग में संगम होते हैं | इन दोनों के बीच में अन्तर्वाहिनी सरस्वती नदी प्रवाह होती है | सरस्वती नदी अग्नि नाड़ी अथवा सुषुम्ना नाड़ी का प्रतीक है | इन तीन नदियों का संगम तीन नाड़ियों का मिलना सूचित करता है | गंगा यमुना और सरस्वती का संगम को ही त्रिवेणी संगम कहा जाता है | इसलिए वहां स्नान करने से तीनों का अनुग्रह का पात्र बनते हैं – यमुना नदी हमारी पापों को नाश करती है, गंगा नदी मोक्ष प्रदायिनी है आर सरस्वती अमृत वर्षिणी है| इतने महत्वपूर्ण संगम प्रयाग में कुंभ मेला के समय डुबकी लगाने से मोक्ष प्राप्ति के समान, श्री श्री श्री महावतार बाबाजी के आदेश के अनुसार ४९ दिनों कि अद्भुत प्रक्रिया को, सुषुम्ना क्रिया योगी परिपूर्ण भक्ति भाव से करने से, उन नदियों के पवित्र जल में स्नान करने का परमाद्बुत पुण्य प्राप्त होता है |

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