‘यमुना ‘ मने जुडवा।पुण्य गंगा नदी के समानात्व प्रवाह होने के कारण इस नदी का नाम ‘यमुना’ है। यह पुराण ग्रंथों में कहा गया है। चतुर वेदों में पहला वेद, रिग वेद में यमुना नदी का प्रस्तावन हुआ है। रिग वेद के अनुसार यमराज कि जुडवा बहन यमुना है। यमराज अपने बहन के प्रति प्रेम के कारण यमुना को अपने वर चुनने केलिए भूमि पर भेजते हैं। तब यमुना उनके समानात्व श्रीकृष्ण को मानती है। श्रीकृष्ण जी के प्रति अचंचल भक्ति, विश्वास, प्रेम तत्व को साक्षी रूप में खडी होती है। पुराणों में श्रीकृष्ण के और यमुना के वर्णन समानात्व में होती है। श्रीकृष्ण के जन्मांतर, वसुदेव जी को नदी में मार्गदर्शन करवाके, स्वामी के चरण स्पर्श से शांति हुई ‘यमुना’। यमुना के जन्म स्थान को यमुनोत्री कहा जाता है। यमुना नदी भूमी पर पापों को नाश करने का भाव हम यमुनाष्टक में पढ़ते हैं। यही कारण हो सकता है कि पूज्यश्री आत्मानंदमयी माताजी ने शिष्यों के कर्मों को नाश करने केलिए यमुना तटपर ही प्रक्रिया करवाए।पानी का प्रवाह, और नदियाँ बहने वाले प्रांत में अधिकतर शक्ति प्रकंपन्न होते हैं, यह बात माताजी ने कयी बार हम सब को बताया।