श्रीदेवी देवीसेट्टी जी के माँ मंगम्मा जी विशाखापट्टनम के निवासी हैं। उन्होंनें अच्छी स्वास्थ्य के उम्मीद में २०१० मार्च के महीने में, सुषुम्ना क्रिया योग साधना में दीक्षा लिए क्योंकि वे पहले से ही कई वर्षों से पुराने व्याधि तत्वों से पीड़ित थे। लेकिन जिस समय उन्होंने सुषुम्ना क्रिया योग का अभ्यास करना शुरू किया, वे ७० साल की एक बुजुर्ग महिला थी, जो क्रोनिक एसेंशियल हाइपरटेंशन, डायबिटीज और ३ से ४ माइल्ड हार्ट अटैक के दौर से गुजरी और ब्रेस्ट कैंसर के लिए द्विपक्षीय मास्टेक्टॉमी से भी गुज़री और कैंसर की पैथोलॉजी रिपोर्ट का इंतजार कर रही थी । उम्र के कारण उनके कई पुराने तत्व और कैंसर का दौरा पड़ने से वह बहुत कमज़ोर और थकावट महसूस करती थी ,जिसके वजह से वे केवल बिस्तर तक ही सीमित हो गयी और उचित आहार भी नहीं ले पा रही थी। वह कुछ परिचर पर चौबीसों घंटे निर्भर थी क्योंकि उपरोक्त सभी जटिलताओं के कारण उन्हें सप्ताह में कम से कम दो बार क्लीनिक मजबूरन जाना पडता था और अक्सर अस्पताल में उन्हें भर्ती भी किया जाता था। उस स्वास्थ्य कि स्थिति में वे और उनके परिवार के सदस्यों ने सुषुम्ना क्रिया योग की साधना पूरे विश्वास के साथ शुरू कीए और बहुत ही कम समय में परिवार के सदस्य उनके स्वास्थ्य , उनके खान-पान कि सेवन में, उनकी नींद का समय बढ़ना और उन्हें अधिक सक्रिय और स्वस्थ होना इन सबी में काफी सुधार देखा । बाद में उनकी पैथोलॉजी रिपोर्ट में कीमोथेरेपी कि एक कोर्स की सलाह दी गई है। हैरानी की बात है कि क्योंकि उनकी सभी चिकित्सीय जटिलताओं के कारण मंगम्मा जी कीमोथेरेपी के लिए उच्च जोखिम वाले रोगी है, जिन्होंने बिना किसी जटिलता के अपनी कीमोथेरेपी को सफलतापूर्वक पूरा किया। कीमोथेरेपी बहुत विषाक्त है और जटिलताओं के साथ जुड़ा हुआ है। यह रक्त कोशिकाओं पर प्रभावित डालता है जो कि सफेद रक्त कोशिकाओं को कम करता है जिससे ल्यूकेमिया होता है।जो रोगी को फेफड़े और हृदय के गंभीर संक्रमण के कारण निमोनिया या पेरिकार्डैटिस का कारण बनता है। महिलाओं में यह योनि और पैल्विक संक्रमण का कारण बन सकता है। यह लाल रक्त कोशिकाओं को कम कर देता है जिससे एनीमिया हो जाता है, जो संक्रमण के “त्वरण” को तेज कर देता है जिससे कई रक्त-आधान की आवश्यकता होती है। इसके अलावा गंभीर मूत्र पथ संक्रमण का कारण बनता है। यह हड्डियों को कमज़ोर करता है जिससे ऑस्टियोपोरोसिस अग्रणी का कारण बन सकता है जिसके वजह से कयी अस्ति-भंग भी हो सकता है।इसके अलावा पूरे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट के गंभीर अल्सर हो सकते हैं, जो मुंह से आंतों तक शुरू होते हैं क्योंकि इन अल्सर के कारण मरीज ब्लैंड डाइट भी नहीं ले पाएंगे और पेट में तेज दर्द का अनुभव करेंगे। कीमोथेरेपी हृदय की मांसपेशियों और यकृत को भी नुकसान पहुंचाती है। जो बालों के झड़ने का कारण बनता है जिसका रोगी पर भावनात्मक प्रभाव पड़ता है। उपरोक्त सभी जटिलताएं उच्च रक्तचाप, मधुमेह या ऐसे रोगियों में बहुत गंभीर हैं, जिन्हें दिल का दौरा पड़ने का पिछला इतिहास है। और कई बार गंभीर असहिष्णुता और खूंखार जटिलताओं के कारण ज्ञात चिकित्सा विकारों वाले इन रोगियों में कीमोथेरेपी प्रचुर मात्रा में होनी चाहिए। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से मंगम्मा जी जो उच्च जोखिम वाले रोगी थे ,उन्होंने कीमोथेरेपी के अन्तरालों को सफलतापूर्वक पूरा किया और किसी भी जटिलता के बिना बहुत चमत्कारिक रूप से वे पूरा किये। वे और उनके परिवार के सदस्य याद करते हैं कि,कीमोथेरेपी के दौरान वे बिना किसी जटिलता के और उन्होंने एक कतरा बाल भी नहीं खोया। यह चमत्कार केवल हमारे गुरू माता पुज्यश्री आत्मानंदमयी माताजी के आशीर्वाद से हुआ है।इन ९ वर्षों में सुषुम्ना क्रिया योग की साधना से मंगम्मा जी के स्वास्थ्य में काफी सुधार हुआ है और आज ७९ वर्ष की आयु में वह स्वास्थ्य का आनंद ले रही हैं और बहुत सक्रिय, खुश और आनंद से एक समग्र जीवन जी रही हैं। मंगम्मा जी के जीवन में होने वाले सभी चमत्कारिक घटनाओं के लिए वे हमारे गुरु माता पूज्यश्री आत्मानंदमयी माताजी के पावन चरणों में प्रणाम अर्पित करते हैं।
ओं श्री गुरुभ्यो नमः।
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