आध्यात्मिक योग शक्ति प्रसादित करने का सामर्धय केवल यमुना नदी के पास है। जहाँ गंगा मय्या साधकों को मोक्ष प्रदान करती हैं, वहां यमुना नदी मानवों के जीवन राशि में, प्रेम तत्व को अधिकतम होने का आशीर्वाद प्रसादित करती हैं। पुराणों के अनुसार मरण को संभव करने वाले, यमराज के पाशं से विमुक्ति कराके, “मृत्योर्मा अमृतंगमय ” कहते ,मृत्यु से अमृततत्व में लेजाती हैं माता ‘यमुना’। यमुना कालिंदी पर्वत की पुत्री मानि जाति है। महाभारत में पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ भी यमुना नदी के तट परही बनाया गया करके, भारतीय आध्यात्मिक ग्रंथों में कहा गया। योग शास्त्रों में यह भी कहा गया कि यमुना सूर्य भगवान कि पुत्रिका है।