माताजी ने हममें से हर एक को को शांत से एक-एक पेड के पास जाकर उस पेड से अपने भ्रूमध्य, को हलके से ठेककर स्पर्ष करते हुए ,हमें विनती करने को कहा, कि वो पेड हमारे कर्मों को लें| उस तरह हम सब भाव से प्रार्थना करने लगे, और हमारे भ्रूमध्य के स्थान में हमने कयी शक्तियों को महसूस की। हम सब अपने अपने पेड के पास जाकर खडे हो गये। नाग तेजा नाम के एक क्रिया योगी, उनके नज़दीकी पेड पर किसी और को भेजकर, देखे कि सभी अपने-अपने पेड़ो के पास खडे थे| वो खुछ भी न कहे और मौन से खडे रहे। उसकि यह हालत देखकर माताजी ने नाग तेजा को कोयी और पेड दिखाकर, उस पेड के पास जाने का संकेत दिया। लेकिन तब तक वहां पर कोई और पहुंच चुका था। माताजी के आदेश के अनुसार उन्होंने उसी पेड के पास प्रक्रिया शुरू कर दिया। हम सभी ५ से १० मिनट तक अपने पेडों को पकडकर एक अनोखी स्थिति में रह गये। प्रक्रिया पूर्ण र्होने के बाद हमने नाग तेजा को रोते हुए देखा। हममें से कुछ सोचने लगे कि शायद उनको एक अलग पेड न मिलने के कारण रो रहे होंगे। परंतु हमारे सोच के विपरीत, वो अपनी भावनाओं को बोलने लगे।