उस दिन ध्यान कार्यक्रम आयोजन करने के लिए हम सब मुसौरी से देहरादून गये। माताजी ने एक ही दिन में चार ध्यान कार्यक्रम का आयोजन किया था। उनका प्रवचन अंग्रेजी भाषा में हुआ था। उन्होने ध्यान साधन, और सुषुम्ना क्रिया योग कि अद्भुत विशेषतावों के बारे में बताया। योग मुद्रा द्वारा हमारे अंदर श्री चक्रा का उत्पन्न होना, ध्यान द्वारा हममें विश्व शक्ति का प्रवाह होना, ओंकार के बारे में, श्वास के लाभ, भ्रूमध्य में दृष्टि, इत्यादि कई विशयों पर माताजी ने चर्चा की। चार कार्यक्रम होने के बावजूद, माताजी में थकावट दिखाई नहीं दि और वे उत्साह के साथ बताते गये। लगातार चार कार्यक्रम करने केलिए बहुत शक्ति कि आवश्यकता होती है। सामूहिक ध्यान कार्यक्रम में हर बैठक में नये सदस्य होते हैं, इसलिए हर बार ध्यान में आये नये लोगों को पूरी प्रक्रिया फिर से बताना पडता है। ध्यान कार्यक्रम निर्वाह करके, मनोग्मय कोस को शुद्ध करके, सबके विचारों की शुद्धि करके, उनके मन को शांत करना कोई आसान बात नहीं है। माताजी अपने योग शक्ति द्वारा साधकों को शक्ति प्रसारित करती है। गुरू अपने रहस्यमय प्रक्रिया द्वारा शिष्यों के दुष्कर्मों को स्वीकार करके, उनका नाश करते हैं। इस प्रक्रिया द्वारा गुरू शारीरिक कष्टों का अनुभव करते हैं जो हम शिष्यों को पता है। इसलिए, हमें बहुत दुःख हुआ। वहां के क्रार्यक्रम को पूर्ण करने के बाद, हम उस रात को वापस मुसौरी चले गये। अगले दिन यमुनोत्री जाने के लिए शुरू हुए।